एक नदी था उसमें बहुत ररस मछली रहते थे और हँसी – खुसी अपनी जीवब बिताते थे l इस पानी मे एक जल की रानी रहती थी वह भी आने साथी सारे जीबो से हँसी ख़ुशी रहती थी l उस नदी के किनारे एक छोटा सा गाँव था l एक समय की बात है जब अकाल पड़ने लगा उसमें बहुत सारे लोगों और बहुत सारे जइब जंतुओं की जान चलेगयीं l उस गांव में ऐसे भी एक परिबार था जो बहुत गरीब था l उन लोगो के परिबार बहुत कठिनाई है गुजर रही थी और परिबार चलाने वाला एक ही आदमी था l वह अपनी परिवार को चलाने के लिए सामना करना पड़ रहा था उनको ओर कभी कभी तु उस परिवार भुखा ही रह जाते थे l वह आदमी सूचने लगा कि कैसे में अपने परिबार को संभाल सकु l उसने नदी की ओर देखा और सूचने लगा क्या उपाय करें ?
तभी वहाँ पर एक बुगला उसको दिखाई दिया वह मछली पकड़ रहे थे l तब उसने बिचार किए की वह भी मछली पड़ेगा और मछली को बेच कर वह अपने परिबार की भार को संभाल सकेगा l उसने ऐसी ही किया वह प्रोतिदिन नंदी से मछली पकड कर बाजार में भेज देते थे और वह अपना परिवार चलाते थे l देखते ही देखते बहुत समय बीते चले गाये ओर हँसी खुसी उन लोग भी जी रहे थे l.
प्रोतिदिन मछली पकड़ने के कारण मछली लोप्त होते जा रहे थे और नदी में दिनों दिन मछली कम होते जा रहे थे l इसी कारण सारे मछलियाँ बहुत चिंतित ओर परेसान था उन मछलियाँ भी बहुत कोशिशों के बाद भी कोई उपाय समज ही नही पाये औऱ डर के मारे मछलियाँ मुछवारे से l एक दिन की बात है जब जलरानी इधर उधर घूम रही थी तब एक छुटे से मछ्ली रूता पिघलती जल रानी से बोला कैसे हो जलरानी जलरानी ने जबाब दिया में ठीक ही हु ओर तुम बाताओ तुम इतना कियो रु रही हो सखी l में बहुत परेशान ने हु जलरानी एक मुच्वरो नए हमलोगों को परेशान कारके रखा है वह प्रोतिदिन नदी में मछली पकड़ने आते है और प्रोतिदिन हमलोगों की सखियों को पकड़ के ले जाते है नदी में मछलियाँ बिलिप्त होने के कगार पर है l
तब जलरानी ने इसे चुप करती है और जलरानी बोलती है घबराओं नही सखी मछली आने दो उसको में बात करूंगा उसे l जैसे ही उस दिन मुछवारे आये अपने कन्धु पर एक बड़ी सी जाल लेकर जब वह नदी के किनारें पहुंचा तो नदी से तुरंत जलपुरी बाहर निकली और बोला तुम इतना मछली कियो पकड़ती हु सारि मछली मर जयेगी ? मुछवारे ने कहा और में क्या करो जलपरी एहि एक काम है जो में अपनी परिवार चलाते है मुझे मछलियाँ तू पकड़ने तु पडेग़ा ही l जलपुरी आप ही बताओं तू में क्या करूँगा l जलपुरी जबाब देती है तुम क्या ओर काम नहीं जानते है l तब मुछवारे जबाब देता है काम तू जनता हू पर काम करने के लिए मुझे धन की जरूरतें पड़ेगी और में ठेहरा एक गरीब कहाँ से में धान जुटा पावोंग l मुछवारे की बाते जलपुरी समझ जती है वह ग़रीबी के कारण मछलियों को पकड़ रही है
और जलपुरी पानी के अंदर चले जाती है अपनी महल की ओर वह आपनी ख़ज़ाने में से कुछ कीमती हिरे लेकर उस मुछवारे को दे देता है ये लौ ये बहुत कीमती है इसे अपनी पास रखो इसे बेच कर तुम्हें तुमहारा जरूते धन मिल जायेंगी ओर कभी मचली पक़डने की अब्सक्ता ही नही है औऱ बदा करू मुझसे ऐसे किसी भी जीबो को नही मोरोगी l तब नई कहा में आप के वादा करता हूँ कि मैं कभी भी जीबो को नही मरूँगा और में आपकी बहुत बहुत धन्यबाद ओर सुक्रिया करती हूं आप ने मुझे अपने कीमती चिज देकर मुझे जीने का सही रास्ता दिखाया अपने अपने परिबार का भरण पोषण में आसानी से कर पवउँग l और हँसी खुसी ने अपनेघर लोटा ओर कभी भी मछली नही पकड़ीं l
तभी वहाँ पर एक बुगला उसको दिखाई दिया वह मछली पकड़ रहे थे l तब उसने बिचार किए की वह भी मछली पड़ेगा और मछली को बेच कर वह अपने परिबार की भार को संभाल सकेगा l उसने ऐसी ही किया वह प्रोतिदिन नंदी से मछली पकड कर बाजार में भेज देते थे और वह अपना परिवार चलाते थे l देखते ही देखते बहुत समय बीते चले गाये ओर हँसी खुसी उन लोग भी जी रहे थे l.
तब जलरानी ने इसे चुप करती है और जलरानी बोलती है घबराओं नही सखी मछली आने दो उसको में बात करूंगा उसे l जैसे ही उस दिन मुछवारे आये अपने कन्धु पर एक बड़ी सी जाल लेकर जब वह नदी के किनारें पहुंचा तो नदी से तुरंत जलपुरी बाहर निकली और बोला तुम इतना मछली कियो पकड़ती हु सारि मछली मर जयेगी ? मुछवारे ने कहा और में क्या करो जलपरी एहि एक काम है जो में अपनी परिवार चलाते है मुझे मछलियाँ तू पकड़ने तु पडेग़ा ही l जलपुरी आप ही बताओं तू में क्या करूँगा l जलपुरी जबाब देती है तुम क्या ओर काम नहीं जानते है l तब मुछवारे जबाब देता है काम तू जनता हू पर काम करने के लिए मुझे धन की जरूरतें पड़ेगी और में ठेहरा एक गरीब कहाँ से में धान जुटा पावोंग l मुछवारे की बाते जलपुरी समझ जती है वह ग़रीबी के कारण मछलियों को पकड़ रही है
और जलपुरी पानी के अंदर चले जाती है अपनी महल की ओर वह आपनी ख़ज़ाने में से कुछ कीमती हिरे लेकर उस मुछवारे को दे देता है ये लौ ये बहुत कीमती है इसे अपनी पास रखो इसे बेच कर तुम्हें तुमहारा जरूते धन मिल जायेंगी ओर कभी मचली पक़डने की अब्सक्ता ही नही है औऱ बदा करू मुझसे ऐसे किसी भी जीबो को नही मोरोगी l तब नई कहा में आप के वादा करता हूँ कि मैं कभी भी जीबो को नही मरूँगा और में आपकी बहुत बहुत धन्यबाद ओर सुक्रिया करती हूं आप ने मुझे अपने कीमती चिज देकर मुझे जीने का सही रास्ता दिखाया अपने अपने परिबार का भरण पोषण में आसानी से कर पवउँग l और हँसी खुसी ने अपनेघर लोटा ओर कभी भी मछली नही पकड़ीं l