Monday, March 25, 2019

मुर्ख कौवा जब जब अपने पंख के साथ मोर के पंख को लगाये हिन्दी कहानी l

एक समय की बात हे की एक आमों की झुरमुट में कौवा का झुण्ड रहता था l आज वहा पर इतना चहल – पहल था कियोंकि की Mr. कौवा छुट्टी पर जा रहा था और अपने दोस्तों को अलबिदा कह रहा था l तभी वहा पर Mss. कौवनीग  आया और Mr. कौव से बलता हे ये रहा आपके आम के हालवे और Mr. कौव ने धन्यवाद करता हे Mss. कौवनीग की l तभी वहा एक और कौवा आ जाता हे कुछ पेड़ की छुटी – छुटी टहनी लेकर Mr. कौवा को सोप देता हे इसी प्रकार Mr. कौव ने अपने सारे दोस्तों को अलबिदा कहता हे और वह वहा से निकल जाता हे l Mr. कौव उड़ता चला गया पहाड़ो , नदी , गाँव और शहरों की उपर से जीवन में पहली बार उसने सोंग्सार देख था l एक दिन उसे बादोलो की गर्जना सुनी और बिजली की कडकना ऐसा लग रहा था की अभी बारिश होने वाला हे Mr. कौवा ने जल्दी ही एक पेड़ पर पन्हा ली और बोलने लगा आपोन को आज यही पर रहना पड़ेगा बारिश में उड़ना खरता से कम नहीं हे भाई l जब Mr. कौव पेड़ पर जगह बना रहा था तभी वह एक अजीव से अवाजे सुनाई दी वह तुरंत ही पेड़ की टहनी से झाका और देखा की अवाजे कहा से आ रही ही तभी एक मोर जोर – जोर से कहने लगता हे बारिश होनी वाली हे .......l
जब Mr. कौव को मोर दिखाई दिया तु बोलने लगा ये कौसा अजीब प्राणी हे भाई ये सब भी उड़ रहे हे क्या ये सब भी पक्षी हे पर ये सब कितने सुंदर लग रहे है l Mr. कौव ने जीवन में पहली बार मोर को देख रहे थे और वह बिश्वास ही नही कर पा रहे थे की ये सब इतना सुंदर कौसे हो सकते हे और वह अपनी काले पंख के साथ और मोर की पंख के रंग – बिरोंगे पंखो से तुलना करने लगे l अचानक अभी वह कौवा होना पसंद नही हो रहा था और बोलने लगता है अपुन को देखो अपुन कितना काला – काला हे और ये सब कितना सुंदर हे अपों को भी इन लोगो की तरह सुंदर और प्यारा बनने का हे पर कौसे ? एक दी उसे एक बिचार आया जब मोर नाच रहा था तभी मोर की कुछ पंख गिरे यह देख कर मोर खशी होने लगा और गिरे होए मोर पंख को इकठा करने लगे l जब Mr. कौव ने बहुत सरे मोर पंख इकठा किया तो उसे देवदार की गुंध ली उसे मोर की पंख को अपने पंख के साथ चिपकाने लगा सरे बदन पर मोर की पंख चिपका लिया और बोलने लगा वहा आपोन एक मोर बन गया हे आखिर कार अब छुट्टी खत्म हो गई हे अब आपोन को बापस जाने का हे l तो Mr.ने सुच लिया की वह अब कौव नही रही अब वह एक मोर बन गया हे तो Mr. कौव ने अपने घर की और उडान भरे l Mss. कौवनीग ने Mr. कौव देखा और वह सरे कौवा को बुलाया जल्दी ही सरे कौव Mr. कौव के घर में इख्त होए और सारे कौव Mr. कौव से बोला बापस आपका स्वागत हे Mr. कौवा छुट्टी आपकी कौसी रही आपकी हम सब कौवा आपको बहुत याद किया ?
तब Mr. जबाब देता हे छुट्टी बहुत अच्छी बीती लेकिन अभी में बतसुरत कौव नही रही अभी अपुन  एक सुंदर और प्यारी सा मोर बन गया है l तभी एक कौव कहते हे पर तुम तो एक कौवा है कौवों को तुम बतसुरत कौसे केह सकते हो l पर Mr. कौव ने किसी की बात नही सुनी यह बेवहार सारे कौवों पसंद नही आया और निश्चय किया की Mr. को अकेला छोड देगा सरे कौवा Mr. से बाते भी नही करने लगे l अभी भी Mr. कौव ने अपना सबक नही सिखा , एक दिन वह कौवा को समझाने की कशिश क्र रहे थे पर Mr. कौव नहीं मनी और बोला अपुन एक मोर बन गया हे इन लोगो के साथ कियों रहूँगा आपुन का आसली जगह तो मोरो के साथ है l
तो Mr. कौव मोरो के साथ रहने चला गया l जब मोरो की जुंड में जब Mr. कौव पहुची तब सरे मोरो बाते करने लगे और कौवा की और देखा और मोर समझ क्र कौवा को उन लोगो के साथ रहने दिया l एक दिन की बात हे जब बारिश होने लगी तो सरे मोर नाच रहे थे और ये सब देख क्र Mr. कौव भी नाचने लगा तब उसके सरे मोर पंख गिर गया यह देख कर सरे मोर हेरान हो गये और बोलने लगा तुम तो मोर नहीं हो ?
 तब Mr. कौव जवाब देता हे बेशक आपोन एक मोर हे आपोन तुम्हारी तरह खता है , तुम्हारे साथ रहता है आपोन के तुहारी जौसे रंग – बिरोंगे चमकता होवा पंख भी हे जब कौव ने अपनी पंख देखा तो हेरान रह गया l तभी मोर बोले तुम तो एक कौवे हो तुम्हारे ये काले पंख तुम्हे सुंदर बनाते हे तब कौव बोलते हे क्या ? मोरो ने कौवा को काले पंख की खूब प्रोश्शा की कौवा इस पर बिश्वास नही क्र पाया मोर कहने लगते हे तुहारे पंख इतने सुंदर हे और तो और आकास भी उचे उड़ने देता हे , हमलोग को देखो इन लम्बे पंख के करण उपर उड़ नही सकते हे हमलोग निचे ही उड़ते हे काश हमलोग भी तुम्हारी तरह उड़ क्र आकाश को छु सकते l पर तुमने अपने सरे परिवार को छुड दिया और इहा आ जये केवल मोर बनने के लिए सच में कितने श्रम की बाते हे तु अपने घर जावो और तुम खुश रहो जिसेमें तुम हो l अंत में Mr. कौव अपने बेब्कुवी शिकार क्र ही लिया और ओह अपनर घर की और उड़ पड़े l
किसी की तरह कपड़े पहनकर , किसी की खाने की अन्दाज नकल करके , किसी की जीवन शेली की नकल क्र हम वह नही बन जाते सबसे सर्ब उतम बात हमे करना चाहिये की खोश रहे जो जिसमे हम हे चाहे हम कोई भी हो हम अपनी ही अन्दाज में बिशेष और बेहतर है l 
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