कोई साल पहले थे एक रजा और एक रानी दोनो ने शिशु पाने के लिए इन्तेजार किये आखिर कार रानी ने एक पुत्री को जन्म दिया l यह देख कर राजा बहुत खुशी होई l रजा और रानी अपनी नन्ही सी मुन्नी को बहुत लड़ प्यार से पलों किया l महराज के साथ रहता था उसके भाई धीरा और उसकी पत्नी मिनंछी जो एक दुष्ट चुडेल थी l धीरा और मिनंछी सिंघासन को अपने कब्जे मे लेना कहता था l एक दिन थिरा अपनी पत्नी से कहता हे दिनों – दिन हमारा हाथ से सिंघासन छुट्ते जा रहा हे जब राजकुमारी की बिबाह हो जाएगी तब राज सिंघासन और सरे राज्य उसके हो जायेगा l तब मिनंछी बोली तुम चिंता मत करो मेरे पास एक समाधान हे और कहा तुम राजकुमारी के पास जावो और बातो से बहलाना और जंगल की तरफ ले आवो l तुरंत ही धीरा राजकुमारी के पास गया और बाते से बहलाते होए एक सुनसान जगह की तरफ ले जाने लगा l तब रानी के भाई सिथू ने धीरा ने राजकुमारी को ले जाते हुए देखा तु सिथू धीरा पर शोक होने लगा और उनका पिछा किया l दूर से ही देख रहा था सिथू , धीरा – राजकुमारी को बातो में बहला रहा था l तब पीछे से धीरा के पत्नी मिनंछी आये और काले जदू करके राजकुमारी के उपर डाल दिया तु तुरंत ही राजकुमारी मछली में बदल गयी और जमीन पर गिर पड़े l यह देख क्र सिथू हेरान हो गया और भागते होए वहा पर पहुच गया और मछली को अपने हाथ में उठा लिया l धीरा और उसके पत्नी मिनंछी पर बहुत क्रोरुधित हो उठे और बुरा भला कहने लगा l
तब सिथू को देख कर दोनों हेरान हो गये और सुचने लगा की इनका मुह बंद केसे करे ? तब मिनंछी में फिर से काला जादू किये और सिथू को गोंगा बना दिया l सिथू राजमहल लोटे , सिथू सब कुछ जानकर कुछ बोल नहीं पाया और मजबूर हुने लगा और राजकुमारी को मछली बनने से बचा नही पाए l सिथू मछली को लेकर महारानी के मछली घर में छोड़ दिया l महारानी को उनके बेटी नहीं मिल रही थी और उनके भाई भी अचानक से बोलने और लिखने की सक्ती खो – दी थी l महारानी प्र्रेसन होकर अपनी बाधा को महाराज के पास ले गाई l सिथू ने बार – बार महाराजा और महारानी को सच्चे बताने की कशिस किया लेकिन असफर रहे l दिन पे दिन गुजरते गया और कोई कुछ क्र नहीं पाये l
हर रोज सिथू मछली को दाना देता था और साथ समय बिता-ता था l यह देख कर साडी मछली राजकुमारी से तुछते हे सिथू केवल तुम्हरा ही देयं कियों रखता हे और हमलोगों का कियो नहीं ? तब राजकुमारी मछली बोलती हे केवल सिथू मामों को पता हे में ही राजकुमारी हू इस लिए मेरा धेयाँ रखता हे l तब बाकी मछली बलती हे देख क्र ही पता लगता हे सिथू मामों तुमसे कितना प्यार करता हे l तब बाकी सब भी बोलता के हँl देखो देखो वह तो एक सुंदर सा घर तुम्हारे लिए बना रहा हे l सिथू ने राजकुमारी के लिए एक सुन्दर सा मुछली घर बनाये और राजकुमारी को अकेला मशुस होगा इस लिए कुछ और मछलियों को भी उसके साथ रखा मछली राजकुरारी पानी में उछल कुद्ते और तेरते देख कर सिथू बहुत खुश होते थे l कुछ दिनों से महारानी अपने भाई को गोर से देख रहे थे और उसी की तरह मछली घर के पस ही समय बिताने लगी महारानी सारा दिन उदास रहती थी लेकिन मछली को देख कर उनका मन भी हल्का हो जाता था l
एक दिन एक साधु राजमहल पर आया उनका नाम था भेय्राबोंदा जब वे अंदर आए तब उन्हने महारानी को मछली के साथ खेलते होए देखा l तब साधु बोलता हे महारानी आपकी पुत्री मछली में कब बदल गई क्या आपको पता हे ते मुछ्ली राजकुमारी हे?यह बाते सुनकर महारानी हेरान हो जाते हे और बलती हे क्या ये बात सच हे l तब साधु बोलता हे राजकुमारी को मछली में बदलना केवल मिनंछी ही क्र सकती हे तुरंत उसको इहा आने का आदेश दिया जाय l साधु जी बहुत क्रोधित थे महल के सब लोगो ने मिनंछी और धिरा को घेर लिया l साधु ने मत्र पड़ कर राजकुमारी को मछली से पुनः मनुष्य के रूप में बदल दिया l तब राजकुमारी बोली इस औरत ने मुझे मुछली बनया था और सिथू मामों की बोलने लिखने की सक्ती भी छिनी हे इस लिए मामों किसी को भी सच नहीं बोल पाए l साधु जी ने तुरंत को बापस स्वासथ बनाया l महाराज ने धिरा ओए उसके पत्नी मिनंछी को उम्र केद की सज़ा सुनाई अंत में सब लोग खुशी – ख़ुशी जीवन बिताये l
तब सिथू को देख कर दोनों हेरान हो गये और सुचने लगा की इनका मुह बंद केसे करे ? तब मिनंछी में फिर से काला जादू किये और सिथू को गोंगा बना दिया l सिथू राजमहल लोटे , सिथू सब कुछ जानकर कुछ बोल नहीं पाया और मजबूर हुने लगा और राजकुमारी को मछली बनने से बचा नही पाए l सिथू मछली को लेकर महारानी के मछली घर में छोड़ दिया l महारानी को उनके बेटी नहीं मिल रही थी और उनके भाई भी अचानक से बोलने और लिखने की सक्ती खो – दी थी l महारानी प्र्रेसन होकर अपनी बाधा को महाराज के पास ले गाई l सिथू ने बार – बार महाराजा और महारानी को सच्चे बताने की कशिस किया लेकिन असफर रहे l दिन पे दिन गुजरते गया और कोई कुछ क्र नहीं पाये l
हर रोज सिथू मछली को दाना देता था और साथ समय बिता-ता था l यह देख कर साडी मछली राजकुमारी से तुछते हे सिथू केवल तुम्हरा ही देयं कियों रखता हे और हमलोगों का कियो नहीं ? तब राजकुमारी मछली बोलती हे केवल सिथू मामों को पता हे में ही राजकुमारी हू इस लिए मेरा धेयाँ रखता हे l तब बाकी मछली बलती हे देख क्र ही पता लगता हे सिथू मामों तुमसे कितना प्यार करता हे l तब बाकी सब भी बोलता के हँl देखो देखो वह तो एक सुंदर सा घर तुम्हारे लिए बना रहा हे l सिथू ने राजकुमारी के लिए एक सुन्दर सा मुछली घर बनाये और राजकुमारी को अकेला मशुस होगा इस लिए कुछ और मछलियों को भी उसके साथ रखा मछली राजकुरारी पानी में उछल कुद्ते और तेरते देख कर सिथू बहुत खुश होते थे l कुछ दिनों से महारानी अपने भाई को गोर से देख रहे थे और उसी की तरह मछली घर के पस ही समय बिताने लगी महारानी सारा दिन उदास रहती थी लेकिन मछली को देख कर उनका मन भी हल्का हो जाता था l
एक दिन एक साधु राजमहल पर आया उनका नाम था भेय्राबोंदा जब वे अंदर आए तब उन्हने महारानी को मछली के साथ खेलते होए देखा l तब साधु बोलता हे महारानी आपकी पुत्री मछली में कब बदल गई क्या आपको पता हे ते मुछ्ली राजकुमारी हे?यह बाते सुनकर महारानी हेरान हो जाते हे और बलती हे क्या ये बात सच हे l तब साधु बोलता हे राजकुमारी को मछली में बदलना केवल मिनंछी ही क्र सकती हे तुरंत उसको इहा आने का आदेश दिया जाय l साधु जी बहुत क्रोधित थे महल के सब लोगो ने मिनंछी और धिरा को घेर लिया l साधु ने मत्र पड़ कर राजकुमारी को मछली से पुनः मनुष्य के रूप में बदल दिया l तब राजकुमारी बोली इस औरत ने मुझे मुछली बनया था और सिथू मामों की बोलने लिखने की सक्ती भी छिनी हे इस लिए मामों किसी को भी सच नहीं बोल पाए l साधु जी ने तुरंत को बापस स्वासथ बनाया l महाराज ने धिरा ओए उसके पत्नी मिनंछी को उम्र केद की सज़ा सुनाई अंत में सब लोग खुशी – ख़ुशी जीवन बिताये l